हमेशा रहस्‍य ही रही अटल की बीमारी

हमेशा रहस्‍य ही रही अटल की बीमारी

सुमन कुमार

अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे। वर्ष 2009 के आम चुनाव से पहले ही अटल जी सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन से दूर हो चुके थे। राजनीति से उनके अलगाव के बाद उनके बारे में ये तो हमेशा बताया जाता था कि वो बीमार हैं मगर कभी भी ये सामने नहीं आया कि आखिर उन्‍हें बीमारी क्‍या थी। देश का मीडिया जगत हमेशा इस बारे में कयास ही लगाता रहा मगर असलियत कभी सामने नहीं आई।

एम्‍स के कई वरिष्‍ठ चिकित्‍सक समय समय पर अटल जी का इलाज करते रहे मगर पत्रकारों के साथ तमाम अच्‍छे संबंध होने के बावजूद इन चिकित्‍सकों ने भी कभी मीडिया में उनकी बीमारी के बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की। खुद इस संवाददाता ने करीब 10 साल पहले एम्‍स के उन चिकित्‍सकों से बात की थी। उनमें से एक ने ये तो बताया था कि अटल बिहारी वाजपेयी को डिमेंश‍िया नहीं है मगर ये नहीं बताया कि आखिर उन्‍हें बीमारी क्‍या है।

बाद में सूत्रों के हवाले से ही ये खबर आई कि उन्‍हें स्‍ट्रोक हुआ है और इसी वजह से उनकी याद्दाश्‍त चली गई है। हालांकि इस खबर की भी किसी आधिकारिक सूत्र से पुष्टि नहीं हुई। अब उनकी मौत के बाद बताया जा रहा है कि 2009 में उन्‍हें स्‍ट्रोक हुआ था और इसके बाद उन्‍हें डिमेंशिया हो गया था।

इस बार भी अटल जी को जब एम्‍स में भर्ती कराया गया तो डॉक्‍टर सिर्फ उनकी तबियत का हाल बयां करते रहे मगर बीमारी की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। हालांकि सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री को गुर्दे और मूत्र नली के संक्रमण, कम मूत्र होने और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। समय-समय पर उनकी डायलिसिस की जा रही थी। वाजपेयी मधुमेह से पीड़ित थे और उनका केवल एक गुर्दा ही काम कर रहा था।

उनके निधन के बाद एम्‍स के सूत्रों ने बताया है कि वाजपेयी जी निमोनिया से पीड़‍ित थे और अंतिम समय आते आते उनके कई जरूरी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था यानी निमोनिया के साथ-साथ उन्‍हें म‍ल्‍टी ऑर्गन फेल्‍योर का सामना करना पड़ा था जिसके कारण उन्‍हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखना पड़ा था। 93 वर्षीय नेता को उनके जीवन के अंतिम दिन एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजिनेशन (ईसीएमओ) सपोर्ट पर रखा गया था।

एक चिकित्सक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि अटल जी निमोनिया से पीड़ित थे और गुर्दा सहित उनके कई प्रमुख अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। एसीएमओ के जरिये ऐसे मरीजों को दिल और श्वसन संबंधी सपोर्ट दिया जाता है, जिनके हृदय और फेफड़े सही तरीके से अपना काम नहीं कर पाते हैं।

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